प्रियंका गांधी की राजनीति और अखिलेश की बुलन्द आवाज़
अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आज़मगढ़ में 12 फरवरी को प्रियंका गांधी जाकर फ़र्ज़ निभाएगी, अखिलेश यादव ने प्रतिनिधिमंडल नियुक्त कर व ट्विटर पर लिखकर निभाया फ़र्ज़ मगर प्रियंका चलकर जाएगी।
कितनी खुदगर्ज है प्रियंका गांधी, जो दूसरों के संसदीय क्षेत्र में बिन बुलाए जा रही है। कम से कम अखिलेश यादव के पद की गरिमा का तो ख्याल किया होता। उन्हें कही जाने का वक्त नही तो इसका मतलब ये नही कि आप बाज़ी मार जाओ, अखिलेश यादव कितना कुछ कर रहे है, घर से निकलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस, ट्विटर पर विरोध प्रदर्शन, जांच के लिए प्रतिनिधिमंडल की नियुक्ति, उत्तर प्रदेश में नोटिसो पर चुप्पी, तो भला तारीफ कैसे न हो, इन सबके बाद भी आज़मगढ़ में अखिलेश लापता के पोस्टर छपवाना ओछी राजनीति ही तो कही जाएगी।
प्रियंका गांधी को तो बस राजनीति करनी है, कभी पुलिस के जुल्म के खिलाफ लोगो को इंसाफ दिलाने के लिए मानवाधिकार आयोग जाकर मुख्य सचिव यूपी व पुलिस महानिदेशक को तलब कराती है, तो कभी बिजनोर मुज़फ्फरनगर, मेरठ, लखनऊ, जाकर पीड़ितों से मिलती है, तो वक्त पर संसद में गुलाब नबी आजाद, कपिल सिब्बल, अधीर रंजन आदि नेताओ से देश हित के लिए एनआरसी तो कभी तीन तलाक पर आवाज़ बुलंद कराती है, तो कभी आपके लिए मामूली महिला सीओ से धक्का मुक्की खाती है, तो अब आप ही बताये भला ये राजनीति नहीं तो ओर क्या है। अब प्रियंका गांधी 12 फरवरी को आज़मगढ़ भी जा रही है। बस करो प्रियंका, कितनी राजनीति करोगी।